ठाकरे गुट का मशाल चुनाव चिन्ह भी जाएगा? समता पार्टी ने चुनाव आयोग को लिखी चिट्ठी

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चुनाव आयोग का टेंशन बढ़ गया है. केंद्रीय चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे को जो ‘मशाल’ चुनाव चिन्ह दिया है, उसे लेकर विवाद पैदा हो गया है. इस चुनाव चिन्ह पर समता पार्टी ने अपना दावा किया है. समता पार्टी का कहना है कि जब ‘मशाल’ पहले से ही समता पार्टी का चुनाव चिन्ह है तो इसे उद्धव ठाकरे को कैसे दिया जा सकता है. इस संबंध में समता पार्टी के अध्यक्ष का पत्र लिखकर नेता कैलाश झा अपनी आपत्ति दर्ज करवाने के लिए आज (12 अक्टूबर, बुधवार) 12 बजे केंद्रीय चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचे.

शिवसेना में बगावत होने के बाद पार्टी दो गुटों में बंट गई. एक गुट का नेतृत्व एकनाथ शिंदे और दूसरे गुट का नेतृत्व उद्धव ठाकरे कर रहे हैं. दोनों गुटों का दावा है कि उनका गुट ही असली शिवसेना है. जब यह मामला केंद्रीय चुनाव आयोग तक पहुंचा तो आयोग ने तत्काल के लिए पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘धनुषबाण’ फ्रीज कर दिया. केंद्रीय चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को नया नाम और चुनाव चिन्ह दिया. उद्धव ठाकरे गुट का नाम ‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ और एकनाथ शिंदे गुट का नाम ‘बालासाहेब की शिवसेना’ रखा गया है. उद्धव ठाकरे गुट का नया चुनाव चिन्ह ‘मशाल’ और एकनाथ शिंदे गुट का चुनाव चिन्ह ‘ढाल-तलवार’ है.

समता पार्टी भी लड़ेगी बाइ इलेक्शन, एक ही चुनाव चिन्ह से बढ़ेगा कंफ्यूजन

समता पार्टी भी अंधेरी विधानसभा का उपचुनाव लड़ने का मन बना रही है. ऐसे में जॉर्ज फर्नांडिस की समता पार्टी और उद्धव ठाकरे का चुनाव चिन्ह ‘मशाल’ होने से मतदाताओं में कंफ्यूजन पैदा हो सकता है. इस वजह से समता पार्टी ने केंद्रीय चुनाव आयोग के सामने अपनी आपत्ति दर्ज करवाई है. अब देखना यह है कि चुनाव आयोग इस बारे में क्या फैसला करता है.

1996 से ही समता पार्टी का चिन्ह ‘मशाल,’ उद्धव गुट को देने पर सवाल

1996 से ही समता पार्टी का चुनाव चिन्ह मशाल रहा है. समता पार्टी द्वारा बुधवार को आपत्ति दर्ज किए जाने के बाद केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा बुधवार को ही अस बारे में एक अहम बैठक किए जाने की संभावनाएं जताई जा रही हैं. 2004 में समता पार्टी का मशाल चिन्ह चुनाव आयोग ने रजिस्टर्ड किया है.समता पार्टी की महाराष्ट्र यूनिट ने यह दावा किया है.

समता पार्टी के दाव के मुताबिक यह पार्टी 1994 से ही एक राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर काम कर रही है. लोगों के मन में इस पार्टी की अपनी प्रतिष्ठाहै. जॉर्ज फर्नांडिस और नीतीश कुमार ने मिलकर लालू प्रसाद यादव के खिलाफ एक नई पार्टी का गठन किया था, जिसका नाम समता पार्टी रखा गया था और चुनाव चिन्ह ‘मशाल’ रखा गया. 1995 में समता पार्टी ने विधानसभा का चुनाव लड़ते हुए 7 सीटों पर जीत भी दर्ज की थी. 1996 के चुनाव में समता पार्टी ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया था. इस चुनाव में भी समता पार्टी को बिहार में 6 और उत्तर प्रदेश और ओडिशा में एक-एक सीट जीतने में कामयाबी पाई थी.1998 के चुनाव में भी समता पार्टी 12 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसलिए समता पार्टी के नेताओं की मांग है कि शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी को मशाल चुनाव चिन्ह की बजाए कोई और चुनाव चिन्ह दिया जाए. अप देखना है कि चुनाव आयोग इस पर क्या रुख अपनाता है.

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