सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े अहम मामले में सुनवाई हुई। दरअसल गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने की साजिश रचने और झूठे सबूत गढ़ने के आरोप में तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तार किया गया था। वहीं तीस्ता की ओर से जमानत की अर्जी देश की सर्वोच्च अदालत में दी गई थी। इस मामले पर सुनवाई करते हुए देश की शीर्ष अदालत ने तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत दे दी है। कोर्ट ने कहा है कि उनकी रेगुलर बेल पर हाई कोर्ट फैसला सुना सकता है।
देश छोड़कर नहीं जा सकती तीस्ता सीतलवाड़
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अभी के लिए तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत दे दी गई है। वहीं तीस्ता सीतलवाड़ देश छोड़कर बाहर नहीं जा सकती हैं।
देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि तीस्ता को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना पड़ेगा। कोर्ट ने कहा है कि, जब तक तीस्ता को हाई कोर्ट से रेगुलर बेल नहीं मिल जाती वे देश के बाहर नहीं जा सकतीं।
जांच एजेंसियों को देना होगा सहयोग
इसके साथ ही तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत देते हुए शीर्ष अदालत ने साफ किया है कि, उन्हें इस दौरान
लगातार जांच एजेंसियों को जांच में सहयोग देना होगा। कोर्ट का कहना है कि वे तीस्ता को बेल पर नहीं छोड़ रहे हैं, सिर्फ जब तक हाई कोर्ट की ओर से रेगुलर बेल पर कोई फैसला नहीं आ जाता कोर्ट की ओर से उन्हें अंतरिम जमानत दी जा रही है।
क्या है तीस्ता सीतलवाड़ पर आरोप?
तीस्ता सीतलवाड़ पर आरोप है कि उन्होंने गवाहों को भड़काया था। सर्वोच्च अदालत ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिए जाने की एसआईटी रिपोर्ट को चुनौती देने वाली जाकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ अपने स्वार्थ सिद्ध करने में जुटी रहीं।
कोर्ट ने संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार की ओर से झूठा हलफनामा दायर किए जाने का भी जिक्र किया था।