उर्दू के मशहूर साहित्यकार गोपीचंद नारंग का निधन, अमरीका में ली अंतिम सांस

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मशहूर साहित्यकार गोपीचंद नारंग ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। गोपीचंद नारंग ने 91 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। उम्र के इस पड़ाव में वे अमरीका में अपने बेटे के यहां रह रहे थे। बताया गया है कि पिछले कुछ समय से उनकी तबीयत कुछ ठीक नहीं थी। वे कुछ गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। गोपीचंद नारंग को उर्दू साहित्य के लिए देश और दुनियाभर में जाना जाता है। इसके लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्म भूषण भी दिया जा चुका है। यही नहीं गोपीचंद ना सिर्फ उर्दू बल्कि इसके अलावा कई और भाषाओं में भी अपनी किताबें लिखी हैं। जिनके जरिए उन्हें अलग पहचान भी मिली।

गोपीचंद नारंग 91 साल के थे और अमरीका के उत्तरी कैरोलिना में रह रहे थे। उनके निधन की जानकारी उनके बेटे की तरफ से दी गई। बेटे ने बताया कि नारंग पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। अपने अंतिम समय तक उन्होंने लेखन-पठन से अपना नाता नहीं तोड़ा था।

65 से ज्यादा किताबें लिखीं
गोपीचंद नारंग का जन्म डुक्‍की में हुआ था। ये डुक्की अब पाकिस्‍तान के बलूचिस्‍तान इलाके में आता है। प्रोफेसर नारंग ने उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी में भाषा, साहित्‍य, काव्‍य और सांस्‍कृति अध्‍ययन पर 65 से ज्यादा किताबें लिखीं थी। यही वजह है कि साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मानों में शामिल पदम भूषण और साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया था।

दिल्ली यूनिवर्सिटी से की पढ़ाई और बने प्रोफेसर
गोपीचंद नारंग ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। खास बात यह है कि इसके बाद वे यहीं पर प्रोफेसर के तौर पर काम भी करने लगे।

अपने साहित्य के इस सफर में नारंग को कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा गया। उनके निधन की खबर मिलते ही सोशल मीडिया पर उनके चाहने वालों ने उन्हें याद किया।

गोपीचंद ने मशहूर किताबों में हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषा की किताबें शामिल हैं। इनमें जदीदियत, मसायल, इकबाल का फन, अमीर खुसरो का हिंदवी कलाम और उर्दू अफसाना रवायत जैसी शानदार रचनाओं के लिए उन्हें याद किया जाता रहेगा।

इसके साथ ही उनकी समालोचना ‘साख्तियात पस–साख्तियात’ और ‘मशरीकी शेरियात’ के लिए उन्हें सन् 1995 में ही साहित्य अकादमी पुरस्कार (उर्दू) से नवाजा गया था। कुछ समय पहले नारंग ने मीर तकी मीर, गालिब और उर्दू गजल पर अपने प्रमुख कार्यों के अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित किए थे।

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