पश्चिम बंगाल के मालदा में भारतीय जनता पार्टी की नेता मौसमी दास पर हमला हुआ है। जिसके बाद उन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। बीजेपी नेताओं का आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस के गुडों ने मालतीपुर में उनके घर में घुसकर हमला किया। मौसमी दास भाजपा की मालदा जिले की महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष हैं।
मौसमी के पति, पिंटू मंडल ने कहा, ‘वह घर में कमरे में सो रही थी, तभी दो अज्ञात लोग घर में घुसे और उसे पीटना शुरू कर दिया और चाकू मार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि हमले में तृणमूल कांग्रेस समर्थित गुंडे शामिल हैं।’
भाजपा जिला समिति सदस्य आदर्श राम ने कहा, ‘हमले की सूचना मिलने के बाद हम पहुंचे। हमने मौसमी को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया। बीजेपी कार्यकर्ता होने के कारण उन पर हमला किया गया। वह मालतीपुर विधानसभा की उम्मीदवार हैं।’ उन्होंने कहा कि यह हमला टीएमसी कार्यकर्ताओं ने किया है। मौसमी दास भाजपा महिला मोर्चा की सक्रिय सदस्य हैं और क्षेत्र के कई मुद्दों के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं। दोषियों पर कार्रवाई हो, इसको लेकर हम पुलिस से कार्रवाई की मांग करेंगे।
टीएमसी ने आरोपों का किया खंडन
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) मालदा के प्रवक्ता शुवोमोय बसु ने आरोप का खंडन किया। उन्होंने कहा, ‘हमें पुलिस जांच पर भरोसा है। अगर ऐसा हुआ है तो वे हमले के पीछे के कारणों का पता लगाएंगे।’
चुनाव बाद बंगाल में हुई थी हिंसा
बता दें, बंगाल भाजपा के नेताओं ने अक्सर पार्टी कार्यकर्ताओं पर हमलों की शिकायत की है और दावा किया है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब हो गई है। 2 मई को राज्य विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के तुरंत बाद हुई हिंसा कई पार्टी कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी और कई लोग झड़पों में घायल हुए थे।
पश्चिम बंगाल में टीएमसी और बीजेपी के बीच हुई झड़प में कई पार्टी कार्यकर्ता कथित रूप से मारे गए थे। इसके बाद बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस पर पश्चिम बंगाल में पुलिस के माध्यम से चुनाव के बाद की हिंसा को एक रणनीति के तहत कराने का आरोप लगाया था।
हाल ही में तृणमूल कांग्रेस विधायक परेश पाल को सीबीआई ने चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार की कथित हत्या के सिलसिले में तलब किया था। वहीं केंद्रीय जांच ब्यूरो ने तृणमूल कांग्रेस के नेता अनुब्रत मंडल को भी चुनाव बाद हिंसा मामले की जांच के सिलसिले में तलब किया था। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पिछले साल अगस्त में पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की घटनाओं की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा अदालत की निगरानी में जांच का आदेश दिया था