नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार ने बुधवार (24 अगस्त, 2022) को बिहार विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया, जबकि विपक्षी भाजपा विधायकों ने बहिर्गमन किया। नीतीश कुमार ने पिछले महीने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाता तोड़कर 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। बता दें, 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में सात दलों के साथ महागठबंधन के 160 विधायक हैं।
महागठबंधन सरकार के शक्ति परीक्षण से पहले सीएम नीतीश कुमार ने सदन में भाजपा और पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने सदन में बीजेपी विधायक की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि आप लोग मेरे खिलाफ बोलोगे, तभी केंद्र सरकार आपका प्रमोशन करेगी।
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर आप मेरे खिलाफ नहीं बोलोगे तो केंद्र आपको आगे नहीं बढ़ाएगा। आप समझ लीजिए कि 2020 के चुनाव में जो हालत थी, उसके बाद से हम तैयार नहीं थे। इसके बाद भी हमारे मन में कोई बात नहीं थी। मैंने कहा था कि आपका(भाजपा का) सीएम बनना चाहिए, लेकिन मुझे मजबूर कर दिया गया सीएम बनने के लिए।”
विधानसभा सत्र बहुत ही राजनीतिक घटनाक्रम के बीच शुरू हुआ, क्योंकि पहले दिन में महागठबंधन ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कथित भूमि के संबंध में राजद नेताओं के कई स्थानों पर छापेमारी के बाद भाजपा पर निशाना साधा।
संघीय जांच एजेंसियों ने राजद सांसद अशफाक करीम, राज्यसभा सांसद फैयाज अहमद और राजद एमएलसी सुनील सिंह और पूर्व एमएलसी सुबोध राय के आवासों पर छापेमारी की। महागठबंधन के विधायकों ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार के भाजपा के साथ एनडीए गठबंधन से बाहर होने के बाद भाजपा सत्ता का दुरुपयोग कर रही है, जबकि भाजपा ने कहा कि सीबीआई के पास राजद नेताओं के खिलाफ मजबूत सबूत हैं, जिसके आधार पर छापे मारे गए हैं। सीबीआई ने राजद नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के स्वामित्व वाले गुरुग्राम के अर्बन क्यूब्स मॉल में भी छापेमारी की।