पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड की जांच के लिए 24 साल पहले बने MDMA को किया गया बंद, जानिए क्यों

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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के पीछे की बड़ी साजिश की जांच के लिए करीब 24 साल पहले बनी मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी (एमडीएमए) को केंद्र सरकार ने बंद कर दिया है। दरअसल, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के हिस्से के रूप में काम कर रहे एमडीएमए को भंग करने का आदेश मई में जारी किया गया था। 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक रैली में लिट्टे के आत्मघाती हमलावर ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी थी।

साल 1998 में मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी (एमडीएमए) को एमसी पर दो साल की अवधि के लिए स्थापित किया गया था। 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक रैली में लिट्टे के आत्मघाती हमलावर की तरफ से हत्या के पीछे गहरी साजिश की जांच के लिए जैन आयोग की सिफारिश से बनाया गया था। हालांकि इसे सालाना एक्सटेंशन दिया जा रहा था। यूनिट ने सूचना मांगने के लिए श्रीलंका, मलेशिया और यूनाइटेड किंगडम समेत कई देशों को करीब दो दर्जन अनुरोध पत्र भेजे थे। अधिकतर पत्रों के जवाब मिल चुके थे। हालांकि, कोई महत्वपूर्ण इनपुट नहीं मिले थे। वहीं, एमडीएमए को अब भंग कर दिया गया है, इसलिए सीबीआई की तरफ से लंबित अनुरोध पत्र पर कार्रवाई की जाएगी।

21 मई 1991 में हुई थी राजीव गांधी की हत्या

बता दें कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को भारत के तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक आत्मघाती बम विस्फोट हुई थी। राजीव गांधी के अलावा कम से कम 14 अन्य मारे गए थे। इस घटना KA थेनमोझी राजारत्नम (जिसे कलैवानी राजारत्नम या धनु के नाम से भी जाना जाता है) द्वारा किया गया था। राजीव गांधी की हत्या के पीछे श्रीलंकाई तमिल अलगाववादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) का हाथ बताया जाता है।

आत्मघाती हमलावर के अलावा इन लोगों की भी हुई थी मौत

आत्मघाती हमलावर थेनमोझी राजारत्नम के अलावा, 21 मई 1991 को हुए विस्फोट में कई लोग मारे गए थे और कई लोग घायल हो गए थे। जिसमें- भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, पुलिस कांस्टेबल धर्मन, महिला कांग्रेस नेता संथानी बेगम, पुलिस निरीक्षक राजगुरु, पुलिस कांस्टेबल चंद्रा, पुलिस निरीक्षक एडवर्ड जोसेफ, पुलिस अधीक्षक केएस मोहम्मद इकबाल, महिला कांग्रेस कार्यकर्ता लता कन्नन, राजीव गांधी के निजी सुरक्षा अधिकारी प्रदीप के गुप्ता, एथिराजु, रविचंद्रन, ब्लैक कैट कमांडो समेत इस विस्फोट में करीब तैंतालीस लोग भी घायल हो गए थे।

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