देश के कई हिस्सों में अभी भी लोग फ्लोराइड और आर्सेनिक की अधिकता का सामना कर रहे हैं। देश के 25 राज्यों के 209 जिले ऐसे हैं जहां भू-जल जहरीला हो चुका है। राज्यसभा में सरकार द्वारा दिए गए आंकड़े न केवल चौंकाने वाले हैं, बल्कि डराने वाले भी हैं। सरकार ने संसद में स्वीकार किया है कि देश में पानी की गुणवत्ता खराब हो रही है।
इन आंकड़ों के मुताबिक, अब तक हम जो पानी पीते आ रहे हैं वह ‘जहरीला’ है। देश के लगभग सभी राज्यों के अधिकांश जिलों में भू-जल में जहरीली धातुओं की मात्रा अधिक पाई गई है। 25 राज्यों के 209 जिलों के कुछ हिस्सों में भू-जल में आर्सेनिक की मात्रा 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है। 29 राज्यों के 491 जिलों के कुछ हिस्सों में भू-जल में आयरन की मात्रा 1 मिलीग्राम प्रति लीटर से भी ज्यादा है।
11 राज्यों के 29 जिलों के कुछ हिस्सों में भू-जल में कैडमियम की मात्रा 0.003 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक पाई गई है। जबकि, 16 राज्यों के 62 जिलों के कुछ हिस्सों में भू-जल में क्रोमियम की मात्रा 0.05 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक पाई गई है। वहीं, 18 राज्यों के 152 जिले ऐसे हैं जहां यूरेनियम की मात्रा 0.03 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा है।
671 क्षेत्र फ्लोराइड से प्रभावित
जल शक्ति मंत्रालय द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक, देश की 80 फीसदी से ज्यादा आबादी को जमीन से पानी मिलता है। इसलिए यदि भू-जल में खतरनाक धातुओं की मात्रा निर्धारित मानक से अधिक हो जाए तो इसका मतलब है कि पानी ‘जहर’ बन रहा है। राज्यसभा में सरकार ने रिहायशी इलाकों की संख्या भी बताई है जहां पीने के पानी के स्रोत प्रदूषित हो गए हैं। इसके मुताबिक, 671 क्षेत्र फ्लोराइड से, 814 क्षेत्र आर्सेनिक से, 14,079 क्षेत्र आयरन, 9,930 क्षेत्र लवणता से, 517 क्षेत्र नाइट्रेट से और 111 क्षेत्र भारी धातुओं से प्रभावित हैं।
ग्रामीण इलाकों में स्थिति ज्यादा खराब
शहरों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में यह समस्या और भी बड़ी है जहां पानी का मुख्य स्रोत कुंए, हैंडपंप, तालाब आदि हैं। यहां पानी सीधे जमीन से आता है। इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में पानी को साफ करने का कोई तरीका नहीं है। ऐसे में ग्रामीण इलाकों के लोग जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं।