नए संसद भवन का उदघाटन राष्ट्रपति से कराए जाने संबंधी याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। अनुच्छेद-32 के तहत इसमें दखल नहीं दे सकते हैं। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली।
उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों कराने की मांग
संसद की इस नई इमारत का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों कराने के लिए शीर्ष अदालत में गुरुवार को एक जनहित याचिका (PIL) दायर हुई थी। इस जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि वह संसद की नई इमारत का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों कराने के लिए सरकार को निर्देश जारी करे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को बनकर तैयार हुई संसद की नई इमारत का उद्घाटन करने वाले हैं। विपक्ष चाहता है कि नई इमारत का उद्घाटन पीएम नहीं बल्कि राष्ट्रपति करें। अपनी मांग को लेकर विपक्ष लामबंद है। कांग्रेस सहित विपक्ष के 20 दलों ने कहा है कि वे इस समारोह में शामिल नहीं होंगे।
नई इमारत के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने पर विपक्ष भाजपा नेताओं के निशाने पर है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के अहंकार ने संसदीय प्रणाली को ध्वस्त कर दिया है। खरगे ने कहा कि मोदी जी, संसद जनता द्वारा स्थापित लोकतंत्र का मंदिर है। राष्ट्रपति का पद संसद का प्रथम अंग है। आपकी सरकार के अहंकार ने संसदीय प्रणाली को ध्वस्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ भारतीय जानना चाहते हैं कि भारत के राष्ट्रपति से संसद भवन के उद्घाटन का हक छीनकर आप क्या जताना चाहते हैं?