बिलकिस बानो मामले में दायर यचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में 11 दोषियों की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है, साथ ही सभी दोषियों को भी पक्ष बनाने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि दोषियों की रिहाई को फैसले में दिमाग का इस्तेमाल किया गया या नहीं। अब इस मामले की अलगी सुनवाई 2 हफ्ते बाद होगी।
15 अगस्त को रिहा हुए थे दोषी
गुजरात सरकार ने 2002 के दंगों के बिलकिस बानो गैंग रेप मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले सभी 11 दोषियों को 2008 में दोषी ठहराए जाने के समय गुजरात में प्रचलित माफी नीति के तहत रिहा कर दिया था। 15 अगस्त को इन दोषियों को रिहा किया गया था। गुजरात सरकार के इस फैसले की काफी आलोचना भी हो रही है। यहीं नहीं, इस फैसले को लेकर विपक्ष के साथ-साथ तमाम बीजेपी नेताओं ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए हैं।
दोषियों को रिहा करने के आदेशों को रद्द करने की मांग
गुजरात सरकार द्वारा दोषियों की रिहाई के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली समेत 4 लोगों ने मामले के 11 दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग की है। इसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “सवाल यह है कि गुजरात के नियमों के तहत दोषी छूट के हकदार हैं या नहीं? हमें यह देखना होगा कि क्या छूट देते समय यह ध्यान रखा गया था या नहीं।”
जानें क्या है पूरा मामला
गोधरा ट्रेन अग्निकांड की घटना के बाद गुजरात में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के दौरान मार्च, 2002 में पांच महीने की गर्भवती बिलक़ीस बानो के साथ गैंगरेप हुआ था। उनकी तीन साल की बेटी सालेहा की भी बेरहमी से हत्या कर दी गई। उस वक़्त बिलक़ीस क़रीब 20 साल की थीं। इस दंगे में बिलक़ीस बानो की मां, छोटी बहन और अन्य रिश्तेदार समेत 14 लोग मारे गए थे। मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को 11 लोगों को रेप और बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई थी। मगर गुजरात सरकार ने पुरानी सज़ा माफी नीति के तहत 15 अगस्त को इन दोषियों को रिहा कर दिया।
दोषियों की रिहाई ने मेरी शांति छीन ली है- बिलकीस बानो
गुजरात सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की आलचना करते हुए बिलकीस बानों ने कहा, “इतना बड़ा और अन्यायपूर्ण फैसला लेने से पहले किसी ने मेरी सुरक्षा के बारे में नहीं पूछा और न ही उनके भले के बारे में सोचा। इन अपराधियों ने मेरे परिवार और मेरे जीवन को तबाह कर दिया और मेरी 3 साल की बेटी को मझसे छीन लिया। आज मैं बस इतना ही कह सकती हूं कि किसी भी महिला के लिए न्याय इस तरह कैसे खत्म हो सकता है? मुझे अपने देश की सर्वोच्च अदालतों पर भरोसा था। मुझे सिस्टम पर भरोसा था और मैं धीरे-धीरे अपने आघात के साथ जीना सीख रही थी। दोषियों की रिहाई ने मेरी शांति छीन ली है और न्याय पर से मेरा भरोसा उठ गया है।”
प्रियंका गांधी ने लगाया आरोप – ‘चुप्पी साधकर सरकार ने अपनी लकीर खींची’
इससे पहले प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर मामले में रिहा हुए आरोपियों की रिहाई को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने ट्विट कर कहा, “बलात्कार की सजा पा चुके 11 लोगों की रिहाई, कैमरे पर उनके स्वागत-समर्थन में बयानबाजी पर चुप्पी साधकर सरकार ने अपनी लकीर खींच दी है। लेकिन देश की महिलाओं को संविधान से आस है। संविधान अंतिम पंक्ति में खड़ी महिला को भी न्याय के लिए संघर्ष का साहस देता है। बिल्किस बानो को न्याय दो।”