खेल – कृष्णा नागर ने रविवार को हांगकांग के चू मैन काई को पुरूषों की एकल एसएच 6 क्लास के तीन गेम तक चले रोमांचक फाइनल में हराकर टोक्यो पैरालंपिक की बैडमिंटन स्पर्धा में भारत को दूसरा स्वर्ण पदक दिलाया।
जयपुर के 22 साल के नागर ने अपने प्रतिद्वंद्वी को 21-17 16-21 21-17 से शिकस्त दी। इस तरह यह दूसरा वरीय खिलाड़ी बैडमिंटन में स्वर्ण पदक जीतने की सूची में हमवतन प्रमोद भगत के साथ शामिल हो गया। भगत ने शनिवार को एसएल3 क्लास में पहला स्वर्ण पदक जीता था। यह पैरालंपिक खेलों में भारत का पांचवां स्वर्ण पदक है। इससे पहले सुहास यथिराज ने रविवार काो एसएल4 क्लास में रजत पदक जीता था।
कृष्णा नागर पहले गेम में अपने प्रतिद्वंद्वी से आगे रहे, लेकिन दूसरे गेम में हांगकांग के चू मन काई ने बराबरी करते हुए यह गेम जीत लिया। हालांकि कृष्णा ने हार नहीं मानी। उन्होंने तीसरा और आखिरी गेम जीतकर गोल्ड पर कब्जा जमाया।
पहले गेम की शुरुआत में ही नागर ने कुछ गलतियां की और जल्द ही काई ने 16-11 की बढ़़त बना ली। हालांकि भारतीय खिलाड़ी ने वापसी की और स्कोर को 15-16 कर दिया। हालांकि इस गेम में उन्होंने एक और अंक गंवाया और 15-17 से पिछड़ गए। इसके बाद उन्होंने जबरदस्त वापसी की और अपने प्रतिद्वंद्वी को लगातार हैरान किया और पहले गेम को 21-17 से जीत लिया।
तीसरे और अंतिम गेम में कृष्णा नागर ने शानदार प्रदर्शन किया और शुरू में ही 5-1 की बढ़त बना ली। हालांकि काई ने एक समय पर 13-13 से मुकाबले को बराबरी पर ला दिया। बावजूद इसके कृष्णा ने कोई कसर नहीं छोड़ी और 21-17 से गेम जीता।
इससे पहले पुरूष एकल एसएल4 क्लास बैडमिंटन स्पर्धा के फाइनल में सुहास यथिराज शीर्ष वरीय फ्रांस के लुकास माजूर से करीबी मुकाबले में हार गये जिससे उन्होंने ऐतिहासिक रजत पदक से अपना अभियान समाप्त किया।
नोएडा के जिलाधिकारी 38 वर्षीय सुहास को दो बार के विश्व चैम्पियन माजूर से 62 मिनट तक चले फाइनल में 21-15 17-21 15-21 से पराजय का सामना करना पड़ा। गैर वरीय सुहास ग्रुप ए के क्वालीफाइंग में भी माजूर से हार गये थे जिनके नाम यूरोपीय चैम्पियनशिप में तीन स्वर्ण पदक हैं। इस तरह गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) के जिलाधिकारी सुहास पैरालंपिक में पदक जीतने वाले पहले आईएएस अधिकारी भी बन गये हैं।