यूरोप में 500 साल का सबसे बड़ा जल संकट, चीन में भी नदियां सूखने से हाहाकार, भारत में क्या है स्थिति?

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पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग के कारण व्यापक जलवायु परिवर्तन देख जा रहा है। इसका भारी असर यूरोप में भी दिख रहा है। यूरोप 500 साल के सबसे भीषण सूखे की मार झेल रहा है। इस महाद्वीप का बड़ा हिस्सा इसकी चपेट में है। ग्लोबल ड्रॉट ऑब्जर्वेटरी की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार यूरोप का 47 प्रतिशत हिस्सा ‘चेतावनी’ की स्थिति में है, जिसका अर्थ है कि यहां की मिट्टी सूख गई है, जबकि 17 फीसदी ‘अलर्ट’ वाले इलाकों में वनस्पति पर संकट गहरा रहा है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि यूरोप का पश्चिमी भाग नवंबर के अंत तक अत्यधिक गर्म मौसम का सामना कर सकता है।

चीन में हाहाकार

वहीं अपने से बहुत छोटे देश ताइवान पर अकड़ दिखाने वाले चीन में भी सूखे के कारण हाहाकार है। चीन 144 साल के सबसे बुरे स्थिति में पहुंच गया है। एक तरफ यहां की सबसे बड़ी यांग्त्जी समेत 66 नदियां लगभग सूख गईं हैं। दूसरी ओर आसमान से भी आग बरस रही है। मतलब रिकॉर्ड गर्मी हो रही है। चीन के सबसे गर्म एक जिले में तापमान 45 डिग्री के पार पहुंच गया है। दक्षिण-पश्चिम चीन के 34 प्रांतों की 66 नदियां बढ़ते तापमान की वजह से सूख गई हैं। शिचुआन और हुबेई प्रांत की स्थिति भी काफी खराब है। यहां लोगों को पीने के पानी के लिए भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
चीन की लाइफलाइन यांग्तजी नदी में सबसे निचले स्तर पर जल स्तर

चीन के जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार यांग्त्जी नदी के ऊपरी हिस्सों में जलस्तर अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। यही वह नदी है, जिसके जरिए आधी से ज्यादा आबादी को पीने का पानी मिलता है। इसके अलावा इसी नदी के पानी से हाइड्रोपावर, ट्रांसपोर्ट का काम भी होता है। खेती के लिए भी इसी नदी के पानी का इस्तेमाल होता है।
यूरोप में बिगड़ते हालात

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फ्रांस में साल के प्रारंभ से ही बना हुआ गंभीर सूखा अगस्त के पहले सप्ताह में और अधिक बढ़ा है। पिछले महीने वर्षा की कमी और हीटवेव की अधिकता से यूरोप में मिट्टी की नमी घटी है। इससे फ्रांस में हालात बिगड़ने का अनुमान है। आधे से ज्यादा फ्रांस की नगरपालिकाओं में जल संकट की स्थिति है और पीने का पानी टैंकरों से उपलब्ध कराया जा रहा है। यही नहीं यूरोप में हीटवेव के कारण लाखों हेक्टेयर में फैले जंगल नष्ट हो चुके हैं। पानी कम होने से कृषि उत्पादन भी गिर रहा है। वर्षों के औसत की तुलना में मक्का का 16%, सोयाबीन का 15% और सूरजमुखी का 12 फीसदी उत्पादन कम रहने का अनुमान जताया जा रहा है।
जगी उम्मीद

रिपोर्ट के अनुसार 11-17 अगस्त तक यूरोप के कई हिस्सों में वर्षा हुई। इससे सूखे में राहत मिलने की संभावना है। हालांकि कुछ क्षेत्रों में तूफान की चरम घटनाएं भी हुईं, वहां पर लाभकारी प्रभाव सीमित हो सकते हैं।
नीदरलैंड्स में सूख रही हैं नदियां

लो फ्लो इंडेक्स के मुताबिक अगस्त की शुरुआत में पूर्वी यूरोप, उत्तरी इटली, पूर्वी फ्रांस और जर्मनी में जल संकट बढ़ा है। हालांकि अन्य यूरोपीय देशों में भी नदियों का जल स्तर घटा है। राइन नदी अपने उद्गम स्थान पर सिकुड़ी है, जिससे मध्य यूरोप में कई तरह के संकट खड़े हो सकते हैं। इसके गंभीर परिणामों का असर नीदरलैंड्स की जल वितरण प्रणालियों पर दिखाई देगा। इस रिपोर्ट में अगस्त के शुरुआती दिनों को भी शामिल कर आकलन किया गया है।

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