BBNL और BSNL 1 अप्रैल से साथ करेंगी काम, जून तक दोनों कंपनियों का हो सकता मर्जर

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सरकार भारत ब्रॉडबैंड निगम लि. (BBNL) का घाटे में चल रही सरकारी टेलीकॉम कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) में विलय करने की तैयारी कर रही है. बीएसएनएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पी के पुरवार ने यह जानकारी दी है. दोनों कंपनियां 1 अप्रैल से अपना काम साथ में शुरू करेंगी. 1 अप्रैल से ही दोनों कंपनियों के बीच काम का बंटवारा भी होना शुरू हो जाएगा. भारत सरकार ने बीबीएनएल और बीएसएनएल के विलय (Merger of BSNL and BBNL) को जून 2022 तक पूरा करने की योजना बनाई है. दोनों कंपनियां ने उससे पहले काम और जिम्मेदारी को साझेदारी में लाने की कोशिश शुरू कर दी है.

बीएसएनएल और बीबीएनएल के मर्जर या विलय का मतलब है कि पूरे देश में बीबीएनएल का सारा काम बीएसएनएल को मिल जाएगा. बीएसएनएल के पास पहले से ही 6.8 लाख किलोमीटर से अधिक ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) का नेटवर्क है. बीबीएनएल भी यही काम करती है, लेकिन मर्जर के बाद यह पूरा काम केलव बीएसएनएल के पास होगा. मर्जर होने के बाद देश में बिछे 5.67 लाख किमी के ऑप्टिकल फाइबर का कंट्रोल बीएसएनएल के पास होगा. ये फाइबर केबल देश के 1.85 लाख ग्रामीण पंचायतों में बिछाए गए हैं. बीएसएनएल को इन फाइबर का नियंत्रण यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड या USOF के जरिये दिया जाएगा

क्या करती है BBNL और क्यों हो रहा विलय

बीबीएनएल को फरवरी 2012 में एक खास काम के लिए बनाया गया था. यह खास काम गांवों और पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर बिछाना था. इस काम के लिए सरकार ने यूएसओएफ की शुरुआत की थी. इस फंड के जरिये पंचायतों में फाइबर बिछाए गए. बीबीएनएल को 2.5 लाख ग्रामीण पंचायतों में फाइबर बिछाने का जिम्मा मिला था. ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का फायदा सभी टेलीकॉम ऑपरेटर्स को दिए गए. टेलीकॉम ऑपरेटर बीबीएनएल के ऑप्टिकल फाइबर का इस्तेमाल करते हैं और इसके बदले उन्हें चार्ज देना होता है. नियम के मुताबिक, टेलीकॉम कंपनियां अपनी सर्विस बेचती हैं और उससे होने वाले लाभ का 8 परसेंट हिस्सा बीबीएनएल को लाइसेंस फी के तौर पर देना होता है. इसी 8 परसेंट में यूएसओएफ का 5 परसेंट हिस्सा भी होता है

जिस किसी राज्य में बीबीएनएल केबल बिछाती है, वहां की राज्य सरकार इसका कोई चार्ज बीबीएनएल से नहीं वसूलती. दूसरी ओर बीबीएनएल टेलीकॉम ऑपरेटर्स को जो सेवा देती है, उसके बदले चार्ज वसूलती है. इस तरह कंपनी को दोनों तरफ से फायदा होता है. सरकार इस मर्जर पर काम बढ़ा रही है, लेकिन बीबीएनएल के कर्मचारी इससे खुश नहीं हैं. उनकी शिकायत बीएसएनएल के खिलाफ है और कर्मचारियों का कहना है कि बीएसएनएल के नॉन-परफॉर्मेंस का ठीकरा अब उनके माथे पर भी फूटेगा.

कर्मचारियों का कहना है लोगों ने बीएसएनएल का सभी बकाया चुका दिया है, लेकिन अभी तक वेंडर्स को कंपनी की तरफ से पैसे नहीं मिले.

क्यों हो रहा विलय

दरअसल अगला समय फाइबर-टू-होम सर्विस का है. यानी फाइबर से घर में ब्रॉडबैंड पहुंचाया जाएगा और उसी से मोबाइल, टीवी सबकुछ चलेगा. फाइबर आधारित ब्रॉडबैंड कनेक्शन ग्राहकों को दिए जाएंगे. बीएसएनएल इस मौके को नहीं गंवाना चाहती क्योंकि उसके पास नेटवर्क का विशाल भंडार है. वह यह काम पहले से करती रही है. बीएसएनएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पुरवार ने कहा, सरकार की नीति या तो काम करने या खत्म होने की है. सरकार बीएसएनएल को एक मौका देना चाहती है ताकि बीएसएनएल एक रणनीतिक संपत्ति बन जाए. हमारी जिम्मेदारी है कि हम खुद को साबित करे.

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