04 दिसंबर 2021 को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, जानें मान्यताएं

434 0

आस्था –  04 दिसंबर 2021 को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर यह सूर्य ग्रहण लगेगा। यह एक खग्रास सूर्य ग्रहण होगा। भारतीय समय के अनुसार शनिवार, 04 दिसंबर 2021 को सूर्य ग्रहण सुबह करीब 11 बजे आरंभ हो जाएगा जो दोपहर 03 बजकर 07 मिनट पर सामाप्त हो जाएगा।

भारत में इस सूर्य ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा इस कारण से इसका सूतक मान्य नहीं होगा। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार जहां पर ग्रहण दिखाई नहीं देता वहां पर सूर्य ग्रहण नहीं माना जाता जिस कारण भारत में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। साल का यह आखिरी सूर्य ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका, अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका और अटलांटिक में देखा जा सकेगा।

आइए जानते हैं महत्व…

ज्योतिषीय महत्व
साल 2021 का आखिरी और दूसरा सूर्य ग्रहण 04 दिसंबर को लगेगा। यह खग्रास सूर्य ग्रहण वृश्चिक और ज्येष्ठा नक्षत्र में लगेगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रहण का लगना अशुभ होता है। ग्रहण का प्रभाव सबसे ज्यादा उन राशि के जातकों और नक्षत्र में पैदा हुए लोगों पर रहता है जब सूर्य ग्रहण उस राशि और नक्षत्र में लगता है। 04 दिसंबर को लगने वाला सूर्यग्रहण वृश्चिक राशि में लगेगा। वृश्चिक राशि पर मंगल ग्रह का आधिपत्य है और ज्येष्ठा नक्षत्र के स्वामी बुध ग्रह हैं। इस कारण से वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातकों पर इस ग्रहण का सबसे ज्यादा असर देखने को मिलेगा।

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा जबकि चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। ऐसे में ग्रहण के दौरान सभी जातकों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। हालांकि जिस क्षेत्र में यह ग्रहण होता है वहीं पर ही रहने वाले जातकों पर इसका विशेष प्रभाव पड़ता है, अन्य जगहों पर ग्रहण का विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है। 04 दिसंबर 2021 को सूर्य ग्रहण के समय सूर्य, चंद्रमा, बुध और केतु वृश्चिक राशि में रहेंगे, राहु ग्रह वृषभ में, मंगल ग्रह तुला राशि में, शुक्र धनु राशि में और शनि मकर राशि में जबकि गुरु कुंभ राशि में मौजूद रहेंगे।

सूर्य ग्रहण का पौराणिक महत्व
पौराणिक कथाओं में सूर्य ग्रहण और चंद्रग्रहण की घटना को राहु-केतु के द्वारा ग्रास करने के तौर पर देखा जाता है। राहु और केतु दोनों ही छाया ग्रह और राक्षस गण से संबंध रखते हैं। कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को भगवान विष्णु मोहिनी का रूप धारण कर सभी देवताओं को पिला रहे तो राहु और केतु  इस बात को जान गए कि भगवान विष्णु सिर्फ देवताओं को ही अमृतपान करा रहे हैं। तब दोनों पापी ग्रह चुपके से जाकर देवताओं की पंक्ति में जाकर मोहिन के हाथों से अमृतपान कर लिया था। अमृतपान करने के दौरान चंद्रमा और सूर्यदेव ने यह देख लिया था, यह बात जैसे ही भगवान विष्णु को पता चली उन्होंने तुरंत ही अपने सुदर्शन चक्र से राक्षस का सिर धड़ से अलग कर दिया। तभी से राहु और केतु समय-समय पर सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण लगाते आ रहे हैं।

सूर्यग्रहण का वैज्ञानिक महत्व
विज्ञान के नजरिए से सूर्य ग्रहण को एक खगोलीय घटना माना गया है। जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी की बीच आ जाता है तब ऐसी स्थिति में सूर्य का प्रकाश धरती पर नहीं पहुंच पाता और चंद्रमा सूर्य को ढक लेता तो इस घटना को सूर्यग्रहण कहते हैं।

Spread the love

Awaz Live

Awaz Live Hindi Editorial Team members are listed below:

Related Post

CDS बिपिन रावत अंतिम सफर पर – दी जायेगी 17 तोपों से सलामी, 6 लेफ्टिनेंट जनरल तिरंगा लेकर पार्थिव शरीर के साथ चलेंगे

Posted by - December 10, 2021 0
सीडीएस बिपिन रावत समेत तमिलनाडु हेलिकॉप्टर क्रैश में जान गंवाने वाले सभी 13 लोगों को आज अंतिम विदाई दी जा…

आगजनी चोरी के मामले में 135 गिरफ्तार, उपद्रवियों के 12 बंकर तबाह, मणिपुर में पुलिस की बड़ी कार्रवाई

Posted by - June 26, 2023 0
मणिपुर में 3 मई से भड़की हिंसा को 2 महीने होने वाले हैं लेकिन स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई…

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *