कभी भी फूट सकता है एटम बम’ राज्यपाल के बयान से झारखंड में बढ़ी सियासी हलचल

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चुनाव आयोग द्वारा मुख्यमंत्री की सदस्यता पर सेकंड ओपिनियन दिए जाने के बाद वो निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है यह उनका विशेषाधिकार है. राज्यपाल द्वारा दिए गए बयान के बाद झारखंड में सियासी हलचल तेज हो गई है. बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं. जहां विपक्ष इसे सुनियोजित करार दे रही है वहीं सत्तापक्ष संवैधानिक कार्य और संवैधानिक निर्णयों का सम्मान करने का हवाला दे रही है.

बता दें कि पिछले दिनों यूपीए गठबंधन का एक प्रतिनिधिमंडल और उसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्वयं राज्यपाल से राजभवन में मिलकर आयोग के मंतव्य की कॉपी की जानकारी मांगी थी. उस वक्त राज्यपाल ने आश्वस्त किया था कि 2 दिनों के अंदर फैसले को सार्वजनिक कर दिया जाएगा.

‘चिट्ठी चिपक गया खुल ही नहीं रहा’

इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वकीलों के माध्यम से चुनाव आयोग से फैसले की जानकारी मांगी थी, लेकिन आयोग ने इसे दो संवैधानिक संस्थाओं के बीच का मामला बताते हुए इस दलील को ठुकरा दिया. जिसके बाद सत्तारूढ़ दल के विधायकों ने पत्रकार वार्ता कर या आशंका जाहिर की थी कि राज्यपाल द्वारा फैसले लेने में देरी के कारण राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिल सकता है.

बता दें कि इससे पहले एक कार्यक्रम में गए राज्यपाल से जब मुख्यमंत्री की सदस्यता और चुनाव आयोग की चिट्ठी पर सवाल पूछा गया था तब उन्होंने कहा था कि ‘चिट्ठी चिपक गया खुल ही नहीं रहा’ है.

चल रही है मामले को मैनिपुलेट करने की साजिश

राज्यपाल रमेश बैस के बयान पर सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने प्रतिक्रिया देते कहा कि दोबारा मंतव्य मांगना संवैधानिक संस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है. ऐसा लगता है मानो मामले को मैनिपुलेट करने की साजिश चल रही है. राज्य की सवा तीन करोड़ जनता सभी घटनाओं का आकलन करेगी.

वही झारखंड प्रदेश भाजपा के नेताओं ने कहा कि राज्यपाल का निर्णय संवैधानिक कार्य है इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं है , सभी राजनीतिक पार्टियों को संवैधानिक निर्णय का सम्मान करना चाहिए

राज्यपाल की तरफ से नहीं किया गया कोई निर्णय सार्वजनिक

बता दे कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर रांची के अनगड़ा क्षेत्र में अपने नाम खनन लीज लेने की शिकायत भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्यपाल रमेश बैस से शिकायत कर हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की थी. इसी आधार पर राज्यपाल ने चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा था. लंबी सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने 25 अगस्त को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में अपना फैसले से जुड़ी मंतव्य को राजभवन को सौंप दिया था. हालांकि अब तक राज्यपाल के तरफ से कोई निर्णय सार्वजनिक नहीं हुआ है.

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