CM ममता बनर्जी को जान से मारने की धमकी देने पर कलकत्ता विवि के प्राध्यापक पर मामला दर्ज

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पश्चिम बंगाल : सोशल मीडिया पर कथित तौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जान से मारने की धमकी देने के लिए कलकत्ता विश्वविद्यालय के एक प्राध्यापक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को बताया कि यह मामला पीएचडी शोधार्थी तमाल दत्ता द्वारा की गई शिकायत के आधार पर हरे स्ट्रीट पुलिस थाने ने जंतु विज्ञान विभाग के प्राध्यापक अरिंदम भट्टाचार्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

पुलिस संयुक्त आयुक्त (अपराध) मुरलीधर शर्मा ने बताया कि भट्टाचार्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 505 (1बी) (जनता को डराने या चिंतित करने की मंशा), 506 (जान से मारने या गंभीर चोट पहुंचाने की धमकी) और 120बी (आपराधिक षड्यंत्र रचने) के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बताया कि प्राध्यापक को फिलहाल हिरासत में नहीं लिया जा सका है।

भट्टाचार्य से संपर्क करने पर उन्होंने बताया, “मैंने मुख्यमंत्री के खिलाफ किसी तरह की टिप्पणी नहीं की। शिकायतकर्ता तृणमूल कांग्रेस का समर्थक है। मैं पुलिस के कदम उठाने की प्रतीक्षा कर रहा हूं और उसके बाद ही इस पर कानूनी सलाह लूंगा।”

तृणमूल कांग्रेस समर्थित पश्चिम बंगाल कॉलेज एवं विश्वविद्यालय प्राध्यापक संगठन ने भट्टाचार्य की सोशल मीडिया पोस्टों की निंदा की है। अप्रैल 2012 में, यादवपुर विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र के प्राध्यापक अंबिकेश महापात्रा को मुख्यमंत्री का मजाक उड़ाते हुए एक कार्टून कथित रूप से लोगों को भेजने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

…तो फिलहाल इस चीज पर ममता का ध्यानः इसी बीच, कांग्रेस छोड़ टीएमसी में आईं सुष्मिता देव ने कहा ममता बनर्जी को राष्ट्रीय स्तर का नेता बताया। साथ ही कहा कि ममता और उनकी पार्टी का ध्यान फिलहाल त्रिपुरा के विस चुनाव पर है। देव ने समाचार एसेंजी पीटीआई-भाषा को दिए इंटरव्यू में बताया, “मैं भाजपा विरोधी हूं। विरोध करती रहूंगी। पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बाद, कांग्रेस असम, पुडुचेरी, केरल में हार गई… लेकिन ममता दीदी (बंगाल की मुख्यमंत्री) ने चुनाव जीता और भाजपा का रथ रोका। वह अपनी शानदार जीत के बाद एक राष्ट्रीय नेता हैं।”

उनके अनुसार, टीएमसी, ममता बनर्जी और पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भाजपा से लड़ने को लेकर गंभीर हैं, लेकिन फिलहाल सारा ध्यान 2023 में त्रिपुरा में होने वाले विधानसभा चुनावों पर है।

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