झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में 1932 आधारित स्थानीय नीति और आरक्षण संशोधन विधेयक पास कर दिया गया। इस विधेयक के अनुसार वे लोग झारखंड के स्थानीय या मूल निवासी कहे जाएंगे जिनका या जिनके पूर्वजों का नाम 1932 या उससे पहले के खतियान में दर्ज होगा। 70 दिनों के अंतराल में ये दूसरा मौका था, जब सरकार ने एक दिन का विशेष सत्र बुलाया। इससे पहले सत्र बुलाकर विश्वास मत का प्रस्ताव पारित किया था।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, पिछले साल हमने सरना कोर्ड पारित किया था। आज का दिन शुभ है। भाजपा के विधायकों के रिश्तेदारों के यहां लाखों करोड़ मिलते हैं तो उन्हें छोड़ दिया जाता है। गरीब आदिवासी के यहां एक दाना नहीं मिलता तो उसे फंसा दिया जाता है। अब ईडी-सीबीआई से सत्ता पक्ष डरने वाला नहीं है, हम जेल में रहकर भी आपका सूपड़ा-साफ कर देंगे।
वैसे लोग जिनका नाम 1932 खतियान में दर्ज नहीं होगा या फिर जिनका खतियान खो गया हो या नष्ट हो गया हो ऐसे लोगों को ग्राम सभा से सत्यापन लेना होगा कि वे झारखंड के मूल निवासी हैं या नहीं। भूमिहीन व्यक्तियों के मामले में स्थानीय व्यक्ति की पहचान ग्राम सभा की ओर से संस्कृति, स्थानीय रीति-रिवाज, परंपरा के आधार पर की जाएगी।
1932 स्थानीय नीति के संबंध में विधायक अमित यादव, विनोद सिंह और रामचंद्र चंद्रवंशी ने तीन संशोधन प्रस्ताव पेश किए गए थे और विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का आग्रह किया गया था। मुख्यमंत्री ने इन तीनों प्रस्तावों पर जवाब देते हुए प्रवर समिति को भेजने से इनकार कर दिया। चर्चा के बाद 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति ध्वनि मद से पास कर दिया गया।
दोनों ही बिल के प्रावधानों को लागू करने के लिए राज्य सरकार केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजेगी। सरकार इन दोनों विधेयकों पर फोकस कर रही है जबकि विपक्ष सदन में सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है। कोलकाता कैश कांड के आरोपी तीनों विधायक भी विशेष सत्र में शामिल हुए हैं।