रांची :झारखंड हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी गुरुवार को भूख से मौत मामले की सुनवाई के दौरान सरकार को घेरते हुए कहा कि गांव में विकास नहीं पहुंचना ही नक्सलवाद को बढ़ावा देता है।बिरहोर समाज के लोग पत्ता खाने को मजबूर हैं। कई ऐसे गांव हैं जहां पर राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। राशन के लिए उन्हें 8 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं केवल कागजों तक ही सिमट कर रह गई हैं।
चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की कोर्ट ने कहा कि ऐसे में यह राज्य सरकार के लिए सोचने की जरूरत है कि योजनाएं धरातल पर पहुंचे। अभी भी कई गांव के लोग लकड़ी बेचकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। यह शर्म की बात है।अदालत ने सामाजिक कल्याण विभाग के सचिव को अगली सुनवाई के दौरान पेश होने का आदेश दिया। मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
सीओ बीडीओ क्या कर रहे है?
सीओ, बीडीओ क्या कर रहे है। जिम्मेवार अधिकारी कहां है और क्या कर रहे है। कोर्ट ने कहा कि क्या राज्य सरकार गांव में चिकित्सा सुविधा, स्कूल, शुद्ध पीने का पानी, रसोई गैस जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं उपलब्ध करा सकती है। गैस चूल्हा, शौचालय और स्वच्छ पानी तक की भी कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है। जबकि उनकी ही जंगल से हम खनिज पदार्थ निकालते हैं।
बोकारो में तीन लोगों की भूख से हो गई थी मौत
दरअसल2 साल पहले बोकारो के कसमार में एक ही परिवार के तीन लोगों की भूख से मौत की खबर आयी थी. इस मामले को मीडिया में आने के बाद हाई कोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लेकर झालसा से रिपोर्ट पेश करने और सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। सरकार ने कहा था कि भूख से किसी की मौत नहीं हुई थी। जबकि झालसा ने रिपोर्ट में बताया कि ग्रामीण लोगों का जीवन अभी भी दयनीय है।