एक लड़की अपने जीवन में कई भूमिकाएं निभाती है। एक बेटी से शुरू होने वाला सफर पत्नी और खुद मां बनने तक चलता है। हर भूमिका के लिए उसके अधिकार और जिम्मेदारियाँ भी होती हैं। चाहे वह बेटी हो, बहू हो, मां हो या पत्नी हो, हर पद से जुड़ी गरिमा अहम होती है। बेटी के रूप में उसे पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) में हिस्सा भी मिलता है। मगर क्या आप बहू के उसके सास-ससुर की पैतृक संपत्ति में हिस्से के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो आज जान लीजिए।
बहुओं का क्या होता है अधिकार
बेटों को अपने माता-पिता की स्व-अर्जित संपत्ति (Self-Acquired Property) पर दावा करने का अधिकार होता है। मगर उनकी पत्नियों यानी बहुओं का अपने सास-ससुर की स्व-अर्जित संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं होता। ससुराल वालों की स्व-अर्जित संपत्ति की बात करें तो बेटी और बहू के अधिकार समान नहीं होते।स्व-अर्जित संपत्ति और पैतृक संपत्ति में अंतरएक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को ट्रांसफर होने वाली संपत्ति पैतृक संपत्ति की कैटेगरी में आती है। लेकिन जब बंटवारा होता है तो पैतृक संपत्ति स्व-अर्जित संपत्ति में बदल जाती है।
इस तरह होता है बहू का हक
बहू के पास अपने पति की पैतृक संपत्ति में एक अधिकार होता है। बहू को अपने पति की संपत्ति में हिस्सेदारी के जरिए परिवार की संपत्ति पर अधिकार मिलता है। ऐसा या तो पति द्वारा अधिकार ट्रांसफर करने या उसके निधन के बाद हो सकता है।एक परिवार की बेटी शादी के बाद दूसरे परिवार की बहू बन जाती है। पर शादी के बाद भी उसे अपने पिता की संपत्ति में पूरा अधिकार है लेकिन ससुराल की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं है, सिवाय पति के जरिए, जिसका उल्लेख कर दिया गया है।
पति के देहांत पर क्या होगा
पति की मृत्यु के बाद, उसकी विधवा का अपने पति की छोड़ी गई संपत्ति पर अधिकार होता है। यह संपत्ति पैतृक या स्वयं अर्जित हो सकती है। मृत पति की विधवा होने के नाते उसे यह अधिकार प्राप्त