पीएम नरेंद्र मोदी कैबिनेट में गुरुवार को अचानक बड़ा बदलाव किया गया। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू की जगह अर्जुनराम मेघवाल को कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई और रिजिजू को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय सौंपा गया। इस बदलाव पर शुक्रवार को केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि ये मंत्रालय बहुत उपयोगी मंत्रालय है और यहां पर बहुत काम कर सकते हैं। प्रधानमंत्री जी का भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का जो सपना है उसमें मैं देख सकता हूं कि इस मंत्रालय का बहुत बड़ा योगदान होगा। मैं प्रधानमंत्री का धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने मुझे अलग-अलग मंत्रालय में काम करने का मौका दिया। उल्लेखनीय है कि शुरुआत में ये मंत्रालय 1981 में बनाए गए डिपार्टमेंट ओशन डिवेलपमेंट के अंर्तगत आता था, लेकिन 1982 में सरकार ने इसे अलग मंत्रालय के रूप में मान्यता दी।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय भारत सरकार के अंर्तगत काम करता है। यह मंत्रालय मौसम, पर्यावरण, समुद्री हलचल, जल विज्ञान, भूकंप, समुद्री जीव और अन्य चीजों की खोज आदि करने की जिम्मेदारी संभालता है। जुलाई 2006 में भारत सरकार ने राष्ट्रपति की अधिसूचना के जरिए डिपार्टमेंट ओसन डिवेलपमेंट का नाम बदलकर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय कर दिया गया। इस आदेश के बाद इस मंत्रालय के अधीन मौसम विभाग, दिल्ली, IITM, राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF) नोएडा आ गए।
मंत्रालय का मकसद क्या है?
पृथ्वी और विज्ञान मंत्रालय का मकसद पृथ्वी विज्ञान क्षेत्र में ज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यम के रूप में उत्कृष्टता हासिल करना है। जिससे सामाजिक-आर्थिक फायदा हो। इसके जरिए मौसम की जानकारी, पर्यावरण, समुद्र और तटीय राज्यों में मौसम की जानकारी उपलब्ध कराई जाती है।
इसके अतिरिक्त हाइड्रोलॉजी, भूकंप और प्राकृतिक आपदा को लेकर भी जानकारी दी जाती है। इस मंत्रालय के पास आर्कटिक, अंटार्कटिक और हिमालय में जो हलचलें होती है उसके बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए अभियान चलाना होता है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का कार्य
– पर्यावरण पर लंबी अवधि वाले आकलन, समुद्र और पृथ्वी की हलचलों पर नजर रखना। अर्थ सिस्टम में आने वाले बदलाव पर भी मंत्रालय की गहरी नजर।
– आधुनिक तरीकों से मौसमी बदलाव और आपदा के बारे में जानकारी देना। अनुमान लगाने की नई व सटीक तकनीक विकसित करना।
– अर्थ सिस्टम और ह्यूमन सिस्टम के बीच स्थानीय और अस्थायी संबंधों को भी समझने की कोशिश।
– मंत्रालय के जरिए ध्रुवीय और समुद्र ऊंचाई वाले इलाके पर भी अभियानों को शुरू करना।
– अर्थ सिस्टम से मिलने वाली जानकारी को सर्विस, सामाजिक, पर्यावरण, आर्थिक फायदे के लिए प्रयोग करना।
– समुद्री तकनीक के विकास और समुद्र के अंदर मिलने वाले रिसोर्स को ढूंढने के नए तरीके पैदा करना।