बजट पेश होने के बाद विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया भी सामने आने लगी हैं। समाजवादी पार्टी के नेता घनश्याम तिवारी ने एक चैनल से बात करते हुए कहा कि, “2 साल से कोई बच्चा स्कूल नहीं गया है और आर्थिक सर्वे के अनुसार देश में 20 में 1 बच्चा स्कूल नहीं जाता है, रोजगार ठप है, रोजगार के लिए बजट में क्या ऐलान किया गया? कौशल विकास केंद्रों के लिए क्या व्यवस्था की गई? इस सरकार के पास आम आदमी के लिए कुछ नहीं है ,इनके पास सोच ही नहीं है।”
वहीं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बजट पर ट्वीट करते हुए कहा कि बजट में आम आदमी के लिए कुछ नहीं है, जो बेरोजगारी और महंगाई के कारण दबते जा रहे हैं। सरकार बड़े शब्दों में खो गई है जिसका कोई लाभ नहीं है। यह एक Pegasus Spin Budget है।
बजट पर उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर लिखा कि, “संसद में आज पेश केन्द्रीय बजट नए वादों के साथ जनता को लुभाने के लिए लाया गया है, जबकि गतवर्षों के वादों व पुरानी घोषणाओं आदि के अमल को भुला दिया गया है, यह कितना उचित। केन्द्र बढ़ती गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई व किसानों की आत्महत्या जैसी गंभीर चिन्ताओं से मुक्त क्यों? केन्द्र सरकार द्वारा अपनी पीठ आप थपथपा लेने से अभी तक देश की बात नहीं बन पा रही है। करों की मार लोगों का जीना दुभर किए हुए है। इसीलिए केन्द्र का भरसक प्रयास खासकर बेरोजगारी व असुरक्षा आदि के कारण लोगों में छाई तंगी, मायूसी व हताशा को कम करने की हो तो बेहतर।”
बजट पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि, “ऐसा लगता है कि इस बजट में कुछ भी नहीं है। यह एक निराशाजनक बजट है। जब आप बजट भाषण सुनते हैं तो उसमें मनरेगा , डिफेंस और जनता के लिए अन्य जरूरी प्राथमिकताओं का कोई जिक्र नहीं है।” कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने बजट को अवास्तविक और अप्रभावी करार दिया। वहीं सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी ने सरकार से पूछा कि सुपर-रिच लोगों पर अधिक कर क्यों नहीं लगाया गया?
उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने बजट पर ट्वीट कर लिखा कि, “निर्मला सीतारमण का सबसे छोटा बजट भाषण सबसे प्रभावशाली साबित हो सकता है।”
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने बजट पर कहा कि, “भारत को हरित होने की जरूरत है, भारत को डिजिटल होने की जरूरत है और यही बजट पेश करता है। बजट शहरीकरण, स्वच्छ बिजली, स्वच्छ गतिशीलता और डिजिटल रुपए को बढ़ावा देगा।”