भारतीय रेलवे अपने निकम्मे अधिकारियों पर सख्त रुख अपना रहा है। रेलवे पिछले 16 महीने में हर तीसरे दिन एक भ्रष्ट या निक्कमे अधिकारी को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा चुका है। साथ ही 139 अधिकारियों को वीआरएस लेने के लिए कह चुका है।
भ्रष्ट अधिकारियों पर गाज
सूत्रों की मानें तो बुधवार, 23 नवंबर को भारतीय रेलवे ने और दो वरिष्ठ अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया है। उनमें से एक को कथित तौर पर सीबीआई ने हैदराबाद में 5 लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा था। दूसरा अधिकारी भी रांची में तीन लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया था।
कर्मचारियों को क्यों निकाल रहा है रेलवे
दरअसल सरकारी नौकरी का मतलब ही था एक बार एंट्री कर लो, उसके बाद आराम करो, लेकिन अब सरकार यहां सख्त हो चुकी है। काम नहीं करने वाले को सीधे बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। रेलवे ने कार्मिक और प्रशिक्षण सेवा नियमों के नियम 56 (जे) के तहत एक सरकारी कर्मचारी को तीन महीने की नोटिस अवधि के बाद सेवानिवृत्त होने या बर्खास्त किया जा सकता है।
रेलवे के एक अधिकारी ने कहा- “रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ‘काम करो नहीं तो हटो’ के अपने संदेश के बारे में बहुत स्पष्ट हैं। हमने जुलाई 2021 से हर तीन दिन में रेलवे के एक भ्रष्ट अधिकारी को बाहर किया है।”
किससे इस्तीफा मांगा गया है
जिन लोगों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए मजबूर किया गया है, उनमें इलेक्ट्रिकल और सिग्नलिंग, चिकित्सा और सिविल सेवाओं के रेलवे कर्मचारी के नाम शामिल हैं। साथ ही स्टोर, यातायात और यांत्रिक विभागों के कर्मचारियों को भी इसके लिए मजबूर किया जा रहा है।
क्या कहता है नियम
मौलिक नियम और सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972, यह कहता है कि ‘उचित प्राधिकारी को एफआर 56 (जे), एफआर 56 (एल) या नियम 48 (1) (बी) के तहत सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्त करने का पूर्ण अधिकार है। यदि जनहित में ऐसा करना आवश्यक हो तो यह सही है।