सुप्रीम कोर्ट मणिपुर की उन दो महिलाओं की याचिका पर सुनवाई करने जा रहा है, जिन्हें एक वीडियो में निर्वस्त्र परेड कराते हुए देखा गया था। मणिपुर हिंसा से जुड़ी याचिकाओं पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई करेगी। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट जांच की निगरानी करता है तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। मेहता का कहना था कि दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने संबंधी मामले की सुनवाई असम में स्थानांतरित करने का अनुरोध उन्होंने कभी नहीं किया।
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल दोनों महिलाओं की ओर से पेश हुए। उन्होंने कहा कि एक याचिका उनकी तरफ से दायर की गई है। शीर्ष अदालत ने 20 जुलाई को कहा था कि वह हिंसाग्रस्त मणिपुर की इस घटना से बहुत दुखी है। हिंसा में महिलाओं का इस्तेमाल टूल की तरह से करना लोकतंत्र में पूरी तरह अस्वीकार्य है। सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो पर संज्ञान लेने के बाद केंद्र और मणिपुर सरकार को निर्देश दिया था कि तत्काल उपचारात्मक, पुनर्वास और रोकथाम संबंधी कदम उठाये जाए और उसे कार्रवाई से अवगत कराया जाए।
आज सुनवाई के दौरान अदालत ने मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए व्यापक तंत्र विकसित करने को कहा। सीजेआई ने आज सवाल किया कि मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा को लेकर मई से कितने केस दर्ज हुए हैं। मणिपुर में 4 मई की घटना का यह वीडियो सामने आने के बाद राज्य में तनाव पैदा हो गया था। मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
नई PIL पर सुनवाई से सीजेआई का इनकार, बोले- स्पेशल रिट दायर कर सकते हैं
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा पर दायर एक नई जनहित याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया। इस याचिका में राज्य में जातीय हिंसा के अलावा पोस्ते की कथित खेती और नार्को-आतंकवाद सहित अन्य मुद्दों की एसआईटी से जांच कराने का अनुरोध किया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस जनहित याचिका पर विचार करना ‘बहुत कठिन’ है, क्योंकि इसमें केवल एक समुदाय को दोषी ठहराया गया है। बेंच ने कहा कि आप एक स्पेशल रिट के साथ आ सकते हैं। इस याचिका में हिंसा से लेकर मादक पदार्थों और पेड़ों की कटाई सहित सभी मुद्दे शामिल हैं।