टाटा संस 68 साल के बाद एक बार फिर से एयर इंडिया का मालिक हो गया है। केंद्र सरकार ने टाटा द्वारा लगाई गई बोली को मंजूरी दे दी है। टाटा ने एयर इंडिया को लिए 18,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। जिसमें 15,300 करोड़ रुपये कर्ज के रूप में और बाकी नकद देना है।
दीपम के सचिव तुहिन कांत पांडे ने इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा कि टाटा संस की टैलेस प्राइवेट लिमिटेड ने 18,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। एयरइंडिया के लिए ये सबसे ज्यादा बोली रही। 31 अगस्त, 2021 तक, एयर इंडिया पर कुल 61,562 करोड़ रुपये का कर्ज है, उसमें से 15,300 करोड़ रुपये टाटा देगी।
इस महीने की शुरुआत में टाटा संस और स्पाइसजेट के चेयरमैन अजय सिंह दोनों ने बोली लगाई थी। पिछले महीने रिपोर्ट आई थी कि टाटा ने ये बोली जीत ली है, जिसे केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने खारिज कर दिया। तब उ्न्होंने कहा था कि इस बारे में कुछ भी अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
दिसंबर 2020 में, सरकार ने एयर इंडिया की नीलामी के लिए कंपनियों को आमंत्रित किया था। चार कंपनियों ने इस नीलामी प्रक्रिया में भाग ली थी। इनमें से टाटा और स्पाइसजेट ही अंतिम चरण तक पहुंचने में सफल रहे। जहां आज एयर इंडिया का स्वामित्व टाटा को मिल गया।
एयर इंडिया को अबतक 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा हुआ है। जिसमें औसतन सरकार को हर दिन लगभग 20 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मोदी सरकार द्वारा एयर इंडिया को बेचने का यह दूसरा प्रयास था। केंद्र ने मार्च 2018 में भी इसे बेचने का प्रयास किया था, लेकिन तब सरकार को सफलता नहीं मिली थी।
एयर इंडिया की शुरूआत टाटा एयर सर्विसेज ने 1932 में किया था। तब इसकी स्थापना जेआरडी टाटा ने की थी। 1953 में भारत सरकार ने इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया और एयर इंडिया पर केंद्र का अधिकारी हो गया। जेआरडी टाटा 1977 तक इसके अध्यक्ष रहे थे।