मणिपुर में फिर बदमाशों की ढाल बनीं महिलाएं, भीड़ ने खाली मकानों और स्कूल में लगाई आग

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मणिपुर में स्थिति सुधर ही रही थी कि 19 जुलाई की शाम को दो महिलाओं के साथ दरिंदों की भीड़ द्वारा किये जाए रहे अत्याचार का वीडियो वायरल हो गया जिसके बाद स्थिति फिर बिगड़ने लगी है।अब चुराचांदपुर के तोरबुंग बाजार इलाके में हथियारबंद उग्रवादियों की एक समूह ने कम से कम 10 खाली पड़े मकानों और एक स्कूल में आग लगा दी। मणिपुर पुलिस ने आज इस घटना की पुष्टि की। पुलिस ने बताया कि उग्रवादियों की भीड़ के आगे सैकड़ों की संख्या में महिलाएं चल रही थीं जिसे देखकर ऐसे लग रहा था कि ये महिलाएं हथियारों से लैस उग्रवादियों के लिए मानव ढाल का काम कर रही थीं। उसने बताया कि भीड़ द्वारा किए गए हमले में ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं और देसी बम फेंके गए। बता दें कि तोरबुंग बाजार में स्थित जिस स्कूल को आग के हवाले किया गया, उसका नाम चिल्ड्रन ट्रेजर हाई स्कूल था।

महिलाओं को देख सुरक्षाबलों ने नहीं चलाई गोली

इस घटना के बाद सुरक्षाबलों ने बताया कि हमने एकाएक देखा कि सैकड़ों महिलाओं की अगुवाई में भीड़ आगे बढ़ रही है, इस भीड़ में बड़ी संख्या में आधुनिक हथियार के साथ उग्रवादी भी थे पहले तो हमने कार्रवाई करने के बारे में लेकिन महिलाओं की भीड़ आगे थी तो हम गोलीबारी का जबाव देने में हिचकिचा गए।

लेकिन जब उन्होंने उन्हें BSF (सीमा सुरक्षा बल) का एक वाहन छीनने की कोशिश करते और मकान जलाते देखा तो हमें लगा कि हमें भी जवाब देना होगा। बाद में भीड़ ने BSF का एक वाहन भी ले जाने की कोशिश की, लेकिन BSF और इलाके में तैनात स्थानीय स्वयंसेवकों की जवाबी कार्रवाई के कारण उग्रवादी वाहन को साथ नहीं ले जा पाए।

पूरा मामला जानिए

बता दें कि, अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुई थीं। मेइती समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 10,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।

लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है, जिस कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब तक इस हिंसा में 140 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 3000 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। केंद्र की मोदी और राज्य की बिरेन सरकार अब तक इस मसले पर पूरी तरह विफल दिखी है।

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