सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस द्वारा दर्ज किए गए एफआईआर के सिलसिले में फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को 5 दिनों की अंतरिम जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में साफ़ कहा है कि यह बेल सीतापुर में दर्ज एफआईआर के मामले में है, किसी अन्य मामले में नहीं। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि अभी वह कोई ट्वीट नहीं करेंगे।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि यह (अंतरिम जमानत) सीतापुर (उत्तर प्रदेश) की दिनांक 1 जून 2022 की प्राथमिकी के संबंध में है न कि याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी अन्य प्राथमिकी के संबंध में। याचिकाकर्ता बैंगलोर (अपने निवास) या कहीं और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य से छेड़छाड़ नहीं करेगा।”
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने प्राथमिकी में जांच पर रोक नहीं लगाई है और अंतरिम राहत उसके खिलाफ लंबित किसी अन्य मामले पर लागू नहीं होती है। प्राथमिकी रद्द करने से इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इनकार को चुनौती देते हुए जुबैर द्वारा दायर की गई एसएलपी पर सुनवाई कर रहा था।
जुबैर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस पेश हुए और तर्क रखा। उन्होंने तर्क दिया कि कथित अपराध इसलिए नहीं बनते क्योंकि जुबैर ने केवल धार्मिक नेताओं द्वारा किए गए “अभद्र भाषा” के खिलाफ आवाज उठाई और खुद इस तरह के कृत्य में शामिल नहीं हुए। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए।
यूपी सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि यह जुबैर के एक ट्वीट के बारे में नहीं है, बल्कि क्या वह एक ऐसे सिंडिकेट का हिस्सा हैं, जो देश को अस्थिर करने के इरादे से नियमित रूप से ऐसे ट्वीट पोस्ट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जुबैर ने स्थानीय अदालतों द्वारा उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला खोजने और जमानत से इनकार करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट से तथ्यों को छुपाया। सॉलिसिटर जनरल ने जुबैर की याचिका पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले की एक स्थानीय अदालत में कल जमानत के लिए जुबैर की याचिका खारिज होने के बावजूद कल उनके (जुबैर) द्वारा दायर हलफनामे में इस तथ्य को दबा दिया गया।