लखनऊ. केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानून रद्द किए जाने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बार फिर पूरे राज्य में मंडी शुल्क लागू कर दिया है। अब राज्य में मंडी समिति परिसर के बाहर कारोबार करने वाले व्यापारियों को भी पहले की तरह डेढ़ फीसदी शुल्क देना होगा। इसमें एक प्रतिशत विकास सेस होगा और एक प्रतिशत मंडी शुल्क होगा। ऐसा करने पर गेहूं, चावल और दाल महंगी हो जाएगी। इससे पहले शुक्रवार को राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिसर की ओर से प्रदेशभर में मंडी शुल्क लगाए जाने संबंधी निर्देश जारी किया गया था।
कारोबारियों का उत्पीड़न न करें
मंडी शुल्क संबंधी शासनादेश के क्रम में मंडी परिषद निदेशक अंजनी कुमार सिंह द्वारा निर्देश जारी किए गए हैं। अपर मुख्य सचिव कृषि डॉ.देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि मंडी समितियों को निर्देश दिया गया है कि वे मौजूदा स्टॉक को लेकर कारोबारियों का उत्पीड़न न करें। शुक्रवार को आदेश जारी होने के बाद की खरीद पर ही मंडी शुल्क वसूलने के निर्देश दिए गए हैं।
डेढ़ प्रतिशत शुल्क देना होगा
वर्ष 2020 में नए कृषि कानूनों के लागू होने के बाद राज्य सरकार द्वारा आठ जून 2020 को शासनादेश जारी कर मंडी समिति परिसर के बाहर कारोबार करने पर व्यापारियों से किसी तरह का मंडी शुल्क वसूलने की व्यवस्था समाप्त हो गई थी। मंडी परिसर में कारोबार पर ही व्यापारियों को मंडी शुल्क देना होता था।
ऐसे में खासतौर से गल्ला व्यापारियों को मंडी परिसर के बाहर ही कारोबार किया जा रहा था। इससे उन्हें गेहूं, चावल, दाल आदि पर मंडी शुल्क नहीं देना पड़ रहा था। अब केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना के अनुसार, पहली दिसंबर 2021 से तीनों कृषि कानूनों को रद्द किए जाने के बाद राज्य सरकार ने एक बार फिर आठ जून 2020 से पहले लागू मंडी शुल्क वसूलने की व्यवस्था को बहाल करने का फैसला किया गया है। मंडी परिसर के बाहर व्यापारियों को डेढ़ प्रतिशत शुल्क देना होगा।