चाय-पकोड़ा बेचने वाले के वेटलिफ्टर बेटे ने कॉमनवेल्थ गेम्स में दिलाया पहला पदक

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कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के पदकों का खाता सिल्वर से खुला। महाराष्ट्र के सांगली में सड़क किनारे चाय-पकोड़ा बेचेने वाले के बेटे संकेत सरगर ने वेटलिफ्टिंग में 55 किलोग्राम भारवर्ग में कमाल का प्रदर्शन किया। दुर्भाग्य से चोटिल होने के कारण वह गोल्ड नहीं जीत पाए। उन्होंने स्नैच में अपने पहले ही प्रयास में 107 किलोग्राम वजन उठाया। दूसरी बार में 111 किलोग्राम वजन उठाया। तीसरे प्रयास में 113 किलोग्राम वजन उठाया। इस राउंड में वह पहले स्थान पर रहे। इसके बाद क्लीन एंड जर्क में वह दूसरे स्थान पर रहे।

तीन बार के राष्ट्रीय चैंपियन और पिछले साल दिसंबर में राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक विजेता संकेत पिछले साल पटियाला में राष्ट्रीय भारोत्तोलन शिविर में शामिल होने से पहले नियमित रूप से चाय पकेड़े की दुकान चलाने में अपने पिता की मदद करते थे। इससे वह समय निकालकर टेनिंग करते और कॉलेज जाते। उनकी बहन भी वेटलिफ्टिंग करती हैं। काजोल सरगर ने हरियाणा के पंचकुला में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 में गोल्ड मेडल जीतकर चर्चा में आई थीं। दोनों दुकान चलाने में अपने पिता की भी मदद करते हैं।

परिवार जश्न में डूबा

संकेत के गौरवान्वित पिता महादेव सरगर ने जश्न मनाने के लिए आधे दिन की छुट्टी ली। काफी समय बाद ऐसा हो रहा है कि उन्होने अपनी दुकान बंद रखी। इसके लेकर उन्होंने “मैं काम से एक घंटे का ब्रेक ले सकता हूं। परिवार जश्न में डूबा है। महादेव जानते हैं कि संकेत का पदक कहां प्रदर्शित करना है। उन्होंने कहा “जब काजोल पदक के साथ लौटीं, तो हमने पहले चाय की दुकान पर पदक प्रदर्शित किया। इसी ने आज तक हमारे परिवार के लिए सब कुछ उपलब्ध कराया है और संकेत का पदक भी सबसे पहले चाय की दुकान पर प्रदर्शित किया जाएगा।

दुकान पर पिता की करते थे मदद

संकेत ने चाय की दुकान पर मंगोड़े (मूंग पकोड़ा) और वड़ा पाव बनाते थे, जहां पान भी बिकता है। लेकिन उनके पिता चाहते थे कि वह जीवन में आगे बढ़ें। उन्होंने कहा “मैं उसे बताता था कि मेरे पिता केले बेचते थे और मैं चाय और पकोड़ा बेचता था। इसलिए बड़े सपने देखें। आज के पदक के साथ, उसने अपनी पहचान और साथ ही मेरी पहचान बदल दी है।”

गुरुराजा पुजारी से मिली प्रेरणा

संकेत का कॉमनवेल्थ गेम्स मेडल जीतने का सपना तब देखा जब उन्होंने 2018 गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में गुरुराजा पुजारी को सिल्वर मेडल जीतते देखा। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, “मुझे वह दिन याद है। मैं चाय की दुकान पर था और मैंने देखा कि गुरुराज भाई कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीते। मुझे विश्वास था कि मैं भी एक दिन वही उपलब्धि हासिल कर सकता हूं।

चोटिल होने के कारण गोल्ड से चूके

संकेत ने क्लीन एंड जर्क में अपने पहले प्रयास में ही 135 किलोग्राम वजन उठाया। इसके बाद दूसरे प्रयास में उन्होंने 139 किलोग्राम भार उठाने का प्रयास किया, लेकिन वह सफल नहीं रहे और उनका हाथ भी चोटिल हो गया। तीसरे प्रयास में उन्होंने 142 किलोग्राम उठाने का प्रयाय किया, लेकिन दर्द के कारण वह असफल रहे। वह चोट से कराहते दिखे। मलेशिया के मोहम्मद अनीक ने कुल 249 किलो वजन उठाकर क्लीन एंड जर्क में खेलों का नया रिकॉर्ड बनाकर स्वर्ण पदक हासिल किया। उन्होंने स्नैच में 107 और क्लीन एंड जर्क में 142 किलो वजन उठाया।

श्रीलंका के दिलांका इसुरू कुमारा ने 225 किलो वजन उठाकर कांस्य पदक जीता। पिछली बार भारत ने भारोत्तोलन में पांच स्वर्ण समेत नौ पदक जीते थे। शाम को पी गुरूराजा (61 किलो), ओलंपिक रजत पदक विजेता मीराबाई चानू (49 किलो) और एस बिंदियारानी देवी (55 किलो) भी पदक की दौड़ में होंगे ।

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