श्रीलंका में दो महीने पहले हजारों प्रदर्शनकारियों ने राजधानी कोलंबो में राष्ट्रपति भवन पर धावा बोल दिया था, ठीक उसी प्रकार का दृश्य अब इराक के बगदाद शहर में भी दिखाई दे रहा है। इराक के प्रभावशाली शिया मुस्लिम धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर द्वारा राजनीति छोड़ने की घोषणा के बाद, उनके समर्थक विरोध में सड़कों पर उतर आए और प्रतिद्वंद्वी समर्थित समूहों और उनके मुक्तदा अल-सदर के समर्थकों के बीच झड़प हुई।
समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार बगदाद में हुई झड़पों में कम से कम आठ प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और गुस्साई भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रपति के महल पर धावा बोलते हुए देखा जा सकता है और ये दृश्य राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के पद से हटने और राष्ट्र से बाहर निकलने के बाद श्रीलंका के समान है।
एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षाबलों की ओर से फायरिंग की गई। जबकि दोनों विरोधी गुटों ने एक दूसरे पर पत्थरबाजी की। यह घटना बगदाद के ग्रीन जोन में हुई, जहां मंत्रालय और दूतावास स्थित हैं। मुक्तदा अल-सदर ने जल्द चुनाव कराने और संसद को भंग करने पर जोर दिया है। उनका कहना है कि 2003 में अमेरिकी आक्रमण के बाद से सत्ता में रहने वाले किसी भी राजनेता को पद पर नहीं रहना चाहिए।
अक्टूबर के संसदीय चुनावों में मुक्तदा अल-सदर की पार्टी को बड़ी जीत हासिल हुई, लेकिन सरकार बनाने के लिए पर्याप्त सीटें हासिल नहीं कर पाई। उसके बाद से देश राजनीतिक गतिरोध से जूझ रहा है। चुनाव परिणामों के बाद उन्होंने ईरान समर्थित शिया समेत अपने प्रतिद्वंद्वियों के साथ गठबंधन सरकार बनाने से इनकार कर दिया। अब मुक्तदा अल-सदर के राजनीति छोड़ने के उनके फैसले ने चार करोड़ से अधिक आबादी वाले देश के लिए अनिश्चितता पैदा हो गई है।
मुक्तदा अल-सदर के सहयोगी मुस्तफा अल-कदीमी, जो कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने हुए हैं, उन्होंने अगली सूचना तक कैबिनेट की बैठकें स्थगित कर दीं हैं, जब प्रदर्शनकारियों ने सरकारी भवनों पर धावा बोल दिया। मुस्तफा अल-कदीमी ने सार्वजनिक रूप से मुक्तदा अल-सदर से हिंसा को रोकने के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।