पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शुक्रवार को राज्य के विधानसभा (Punjab Assembly) में पठानकोट हमले को लेकर बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा कि पठानकोट में हमला हुआ, एयरबेस से मिलिट्री आई और हमने मुकाबला जीता. कुछ दिनों बाद मुझे पत्र मिला कि पंजाब को 7.5 करोड़ रुपये का भुगतान करना चाहिए क्योंकि सेना भेजी गई थी. इसके बाद साधु सिंह और मैं राजनाथ सिंह के पास गए. उनसे कहा कि मेरे एमपीलैड से कटौती करें लेकिन लिखित में दें कि पंजाब देश का हिस्सा नहीं है और भारत से सेना किराए पर ली है.
इसके अलावा सीएम भगवंत मान ने पंजाब विधानसभा में दिल्ली का मसला भी उठाया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोई भी काम करना हो तो उपराज्यपाल से अनुमति मांगनी पड़ती है वहां CM का कुछ नहीं चलता क्योंकि वहां सरकार किसी और पार्टी की बनी हुई है. पंजाब ने केंद्र सरकार से एक्स्ट्रा बिजली मांगी लेकिन हमें मना कर दिया गया और हरियाणा को दे दिया. सीएम मान ने आगे कहा कि दूसरी तरफ पीएम मोदी कहते हैं कि सबका साथ सबका विकास तो कहां है साथ? ना आपको साथ देना है और ना ही आपको साथ लेना है.
पंजाब विधानसभा में केंद्र के खिलाफ प्रस्ताव पारित
पंजाब विधानसभा ने चंडीगढ़ को तत्काल राज्य को हस्तांतरित करने की मांग करने वाला प्रस्ताव शुक्रवार को पारित कर दिया. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन के साथ ही साझा संपत्तियों में संतुलन बिगाड़ने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया. मुख्यमंत्री मान ने भारतीय जनता पार्टी के दो विधायकों की अनुपस्थिति में यह प्रस्ताव पेश किया. इन विधायकों ने सदन से बहिर्गमन कर दिया था. बीजेपी के अलावा आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल के सदस्य और बहुजन समाज पार्टी के इकलौते विधायक इस प्रस्ताव के समर्थन में आए और केंद्र के कदम को तानाशाही और निरंकुश बताया.
हम मजबूती से लड़ेंगे और राज्य के अधिकारों की रक्षा करेंगे- CM मान
मान ने कहा कि आने वाले दिनों में वे इस मुद्दे पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मुलाकात का वक्त मांगेंगे और सदन को आश्वस्त किया कि उनके समक्ष पंजाब का पक्ष मजबूती से रखा जाएगा. उन्होंने सभी दलों से पंजाब के हितों की रक्षा के लिए एक साथ आने का भी अनुरोध किया. उन्होंने कहा, ‘मैं पंजाब के लोगों को गारंटी देता हूं कि हम मजबूती से लड़ेंगे और राज्य के अधिकारों की रक्षा करेंगे, चाहे विधानसभा में हो या संसद या किसी अन्य मं