मणिपुर में कुदरत का कहर जारी है। नोनी जिले में शनिवार को एक और भूस्खलन हुआ है। इसी इलाके के पास यानी नोनी जिले के तुपुल रेलवे स्टेशन के पास 29 जून को बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ था, जिसमें अब तक 81 लोगों की मौत हुई है। जान गंवाने वालों में टेरिटोरियल आर्मी के 18 जवान भी हैं।
इस इलाके में राहत व बचाव कार्य में शनिवार को भी कई टीमें जुटी हुई हैं। इससे पहले शुक्रवार को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने नोनी जिले में भूस्खलन को राज्य के इतिहास की सबसे भयावह घटना करार दिया था। बचाव कार्यों में लगे कर्मियों को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री सिंह ने फिर घटनास्थल का दौरा किया।
मुख्यमंत्री ने कहा, “यह राज्य के इतिहास की सबसे भयावह घटना है। हमने 81 लोगों की जान गंवाई है, एक प्रादेशिक सेना के जवान समेत 18 को बचा लिया गया है। अभी भी लगभग 55 लोग फंसे हुए हैं। मिट्टी के कारण शवों को बरामद करने में 2-3 दिन लगेंगे।” सीएम एन बीरेन सिंह ने मृतकों के परिजन को पांच-पांच लाख रु और घायलों को 50-50 हजार रुपए के मुआवजे की घोषणा की है।
वहीं, पीआरओ डिफेंस, गुवाहाटी की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि 12 लापता प्रादेशिक सेना के जवानों और 26 नागरिकों की तलाशी के लिए अभियान अभी भी जारी है। इस बीच, भूस्खलन में घायल होने वाले लोगों का इलाज नोनी आर्मी मेडिकल अस्पताल में किया जा रहा है।
मणिपुर के नोनी जिले में गुरुवार को 107 टेरिटोरियल आर्मी के शिविर के पास भारी भूस्खलन हुआ था। इसके बाद, भारतीय सेना और असम राइफल्स की टुकड़ी इस हादसे के बाद राहत और बचाव अभियान में लगी हुई थी। घटनास्थल पर मौजूद इंजीनियरिंग उपकरणों को भी बचाव प्रयासों में लगाया गया था।।भूस्खलन के कारण बड़े पैमाने पर मलबा इकट्ठा होकर एजाई नदी के बहाव के बीच में आ गया और इस कारण वहां पानी जमा हो गया। भूस्खलन के बाद कई लोग जिंदा दफन हो गए।